इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए जनता के सामने अपना एजेंडा रख दिया है। मोदी ने भोपाल में मंगलवार को बीजेपी के कार्यकर्ताओं को समझाया कि उन्हें जनता के बीच जाकर क्या कहना है। मोदी का एजेंडा नंबर 1 है, यूनिफॉर्म सिविल कोड। पहली बार मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सीधी और साफ बात की। मोदी ने कहा कि एक ही घर में परिवार के लोगों के लिए अलग-अलग कानून होंगे तो घर कैसे चलेगा, सबके लिए समान कानून होना जरूरी है। मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी बार-बार यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की बात कहता है लेकिन विरोधी दलों के नेता इसे सिर्फ मुसलमानों से जोड़कर वोट के चक्कर में उन्हें डराते हैं, गुमराह करते हैं। मोदी ने पसमांदा मुसलमानों की बात की, दूसरे देशों का उदाहरण दिया। मोदी का संदेश यह था कि सरकार समान आचार संहिता लागू करने पर आगे बढ़ेगी। जैसे ही मोदी का बयान आया तो विरोधी दलों में हलचल मच गई। शरद पवार, भूपेश बघेल, तारिक अनवर, मनोज झा, विजय चौधरी और असदुद्दीन ओवैसी से लेकर अबु आज़मी और जमीयत उलेमा ए हिन्द के नेता तक सब बोले। सब ने मोदी पर हमला किया। मोदी ने जितने विस्तार से समान नागरिक संहिता की बात की, उससे ये साफ हो गया कि मोदी सरकार जल्द ही इसे लेकर कानून ला सकती है। मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट तो कब से कॉमन सिविल कोड लाने को कह रहा है। मोदी ने कहा कि अगर एक घर में दो कानून नहीं चल सकते तो फिर एक देश में दो कानून कैसे चल सकते हैं? मोदी ने कहा जो लोग समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहे हैं, वो इसी तरह तीन तलाक़ को इस्लाम का जरूरी हिस्सा बता कर उसे खत्म करने का विरोध कर रहे थे। मोदी ने कहा, हकीकत ये है कि तमाम इस्लामी मुल्कों ने तीन तलाक को 90 साल पहले खत्म कर दिया है। अगर तीन तलाक़ इस्लाम का जरूरी अंग होता, तो पाकिस्तान, इंडोनेशिया, कतर, जॉर्डन जैसे मुस्लिम देश इसे खत्म क्यों करते? मोदी ने उन लोगों को भी जवाब दिया जो बीजेपी को मुसलमान को दुश्मन बताते हैं। मोदी ने कहा कि उन्होंने सबका साथ सबका विकास के मंत्र पर काम किया है, पसमांदा मुसलमानों के लिए किए गए सरकार के काम इसका सबूत हैं। मोदी ने कहा कि कुछ पार्टियां और लोग पसमांदा मुसलमानों को मुसलमान नहीं समझते, उनसे भेदभाव करते हैं, उन्हें अछूत मानते हैं। मोदी के भाषण के तुरंत बाद हैदराबाद से AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का रिएक्शन आया। ओवैसी ने पूछा, क्या हिन्दू मैरिज एक्ट खत्म हो जाएगा? क्या मोदी अविभाजित हिन्दू परिवार कानून खत्म कर देंगे? क्या ईसाइयों और दूसरी जनजातियों की परंपराओं पर पबांदी लगा दी जाएगी? ओवैसी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान की भावना के खिलाफ है। अगर मोदी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करेंगे तो क्या कुरान की आयातों का पालन करने पर रोक लग जाएगी? बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ने तमाम दलीलें देकर ये साबित करने की कोशिश की कि मोदी सिर्फ चुनावी झुनझुना बजा रहे हैं, वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं, पर होगा कुछ नहीं। ममता बनर्जी ने कहा, मोदी का मुसलमानों के प्रति प्रेम सिर्फ दिखावा है, मोदी सरकार सिर्फ छह महीने की मेहमान है, इसलिए इस तरह के छलावे में फंसने की जरूरत नहीं है। यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर मुस्लिम संगठन और मौलाना भी एक्टिव हो गए हैं। मंगलवार रात को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मीटिंग हुई, जिसमें तय हुआ कि लॉ कमिशन को बोर्ड की तरफ से ब्य़ौरा दिया जाएगा। इस मीटिंग में बोर्ड के चेयरमैन सैफुल्लाह रहमानी और ज़मीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी मौजूद थे। जमीयत के सचिव नियाज़ फारुकी ने कहा कि जब विधि आयोग इस पर काम कर रहा है तो प्रधानमंत्री को बयान देकर उस पर दबाव बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी। मोदी के बयान पर इतना हंगामा क्यों हो रहा है, इसकी वजह भी जान लीजिए। मोदी अगर सिर्फ कॉमन सिविल कोड की बात करते तो विरोधी दलों से इतना तीखा रिएक्शन न आता। चूंकि मोदी ने पसमांदा मुसलमानों की बात कर दी, उनके प्रति हमदर्दी जता दी, इससे ज्यादा दिक्कत है। पसमांदा फारसी शब्द है, इसका मतलब होता है – जो पीछे छूट गए हैं, जो पिछड़े हैं, सताए हुए हैं। भारत में मुसलमानों की कुल आबादी का 85 प्रतिशत पसमंदा मुसलमान है। सिर्फ 15 पर्सेंट मुसलमान उच्च वर्ग के हैं जिन्हें अशरफ कहते हैं। इनके अलावा 85 पर्सेंट पिछड़े, शोषित, वंचित हैं, जिन्हें अरजाल और अज़लाफ़ कहा जाता है। मोदी ने मुसलमानों के 85 पर्सेंट तबके के प्रति हमदर्दी दिखाई है, उनकी तरक्की की बात की है, इसीलिए ओवैसी से लेकर ममता तक सब परेशान हैं, क्योंकि सबको मुस्लिम वोट बैंक में सेंध की फिक्र है। मोदी ने जिस तरह से पसमांदा मुसलमानों की बात की, जिस तरह समान नागरिक संहिता पर साफ-साफ शब्दों में बात की, उससे ये तो साफ हो गया कि अब 2024 के चुनाव का यूनिफॉर्म सिविल कोड एक बड़ा सियासी इश्यू बनेगा। जिस तरह से प्रधानमंत्री ने कॉमन सिविल कोड पर सीधी और साफ बात की, उससे लग रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाएगा और विरोधी दल ये बात जानते हैं कि अगर नरेन्द्र मोदी ने ये काम कर दिया तो फिर न मोदी-विरोधी मोर्चे से बात बनेगी, न विपक्षी एकता काम आएगी।
भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी की ‘गारंटी’
नरेन्द्र मोदी का एजेंडा नंबर दो है, विरोधी दलों के नेताओं के भ्रष्टाचार को जनता के सामने उजागर करना। मोदी ने पहली बार नाम लेकर कांग्रेस, आरजेडी, NCP, तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के इल्जामात आंकड़े देकर गिनाये – किसने कितने हजार या लाख करोड़ का घोटाला किया। मोदी ने कहा कि विरोधी दलों की गारंटी है कि वो भ्रष्टाचार नहीं छोड़ेंगे, लेकिन मोदी की गारंटी है कि किसी भ्रष्टाचारी को नहीं छोड़ेंगे, सबका हिसाब करेंगे। मोदी का एजेंडा नंबर 3 है, परिवारवाद की राजनीति का पुरजोर विरोध। मोदी ने कहा विरोधी दलों के नेता मुफ़्त की गारंटियां देते है, सिर्फ अपने अपने परिवार के फायदे के लिए काम करते हैं और बीजेपी जनता के फायदे के लिए काम करती है। 23 जून को जब पटना में 15 विपक्षी दलों की मीटिंग हुई थी तब मोदी अमेरिका की सरकारी यात्रा पर थे, इसलिए मोदी इस मीटिंग पर आज बोले। मोदी ने कहा कि जो विरोधी दल एक-दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करते, वो भी उनके खिलाफ एक साथ आ रहे हैं। मोदी ने 2014 और 2019 के चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके खिलाफ इस तरह का गठबंधन पहले भी बना था और हारा था। इस बार भी देश की जनता ने तय कर लिया है कि 2024 में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बनानी है। मोदी ने कहा कि विपक्षी पार्टियों में आजकल गारंटी देने का फैशन चल रहा है। कोई फ्री बिजली की गारंटी देता है तो कोई फ्री राशन की, जबकि हकीकत ये है कि इन पार्टियों की सरकारें सिर्फ करप्शन की गारंटी दे सकती है। मोदी ने नाम लेकर हर पार्टी के घोटालों की लिस्ट गिना दी। मोदी ने कहा कि ये विपक्षी पार्टियां तो घोटाले की गारंटी देती हैं लेकिन आज वो देश को इस बात की गारंटी देना चाहते हैं कि जो भी जनता के पैसों को लूटेगा, भ्रष्टाचार करेगा, उनकी सरकार उसे छोड़ेगी नहीं। मोदी ने कहा कि अगर लोग शरद पवार की बेटी की भलाई चाहते हैं तो एनसीपी को वोट दें, अगर लोग लालू के बेटों और बेटियों की भलाई चाहते हैं, तो वे आरजेडी को वोट दें, अगर लोग मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश की भलाई चाहते हैं तो वे समाजवादी पार्टी को वोट दें, अगर लोग के. चंद्रशेखर राव की बेटी की भलाई चाहते हैं, तो वे बीआरएस को वोट दें, अगर लोग करुणानिधि के परिवार की भलाई चाहते हैं, तो वे डीएमके को वोट दें, लेकिन अगर लोग अपने बेटों-बेटियों ओर पोतों की भलाई चाहते हैं, तो वे बीजेपी को वोट दें। मोदी ने जो कहा वो विरोधी दलों के पिछले कई महीनों के कैंपेन के एक-एक पॉइंट का जवाब था। मोदी ने जो कहा वो आने वाले चुनाव के लिए बीजेपी की रणनीति का संकेत था। विरोधी दलों का सबसे संगीन इल्जाम ये है कि मोदी सरकार अपने विरोधियों के खिलाफ सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल करती है। मोदी ने विरोधी दलों के नेताओं के भ्रष्टाचातार के मामले गिना दिए और साफ कर दिया कि इस मामले में विरोधी दलों के नेताओं को राहत देने का उनका कोई इरादा नहीं है, भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी सरकार का अभियान ,सीबीआई, ईडी का एक्शन बदस्तूर जारी रहेगा। विरोधी दलों का दूसरा बड़ा इल्जाम ये है कि मोदी के राज में मुसलमान परेशान हैं, मोदी सरकार मुस्लिम विरोधी है और ये सवाल इंटरनेशनल मीडिया में भी उठाए जाते हैं। मोदी ने साफ कर दिया कि वो इस तरह की बयानबाजी से डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने समझा दिया कि वो देश में मुसलमानों की भलाई के नाम पर की जाने वाली सियासत को नहीं चलने देंगे, तुष्टीकरण की राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेंगे। जले पर नमक छिड़कने के लिए मोदी ने ये भी कह दिया कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड होना चाहिए, सबके लिए एक जैसा कानून होना चाहिए। मोदी के एजेंडे की तीसरी बड़ी बात ये है कि विरोधी दलों की एकता उनके अपने फायदे के लिए है। पटना में जितने भी विरोधी दलों के नेता इकट्ठे हुए थे मोदी ने बताया कि वो सब अपने परिवार की विरासत को बचाने के लिए अपने बेटे और बेटियों को राजनीति में चमकाने के लिए इकट्ठा हुए। हालांकि पटना में जो नेता मौजूद थे वो मानते हैं कि अगर उनके बेटे या बेटियां राजनीति में आते हैं उनकी पार्टियों को संभालते हैं तो इसमें कुछ भी बुरा नहीं है। लालू यादव तेजस्वी को आगे करें या शरद पवार सुप्रिया को आगे बढ़ाएं इसमें क्या गलत है? अगर राहुल राजीव के बेटे हैं, अखिलेश मुलायम के बेटे हैं तो इसमें क्या प्रॉब्लम है? मोदी ने आज इस बात को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा ये सब लोग अपने बच्चों का अपने परिवार का भला चाहते हैं अगर देश की जनता अपने परिवार का अपने बेटे बेटियों का कल्याण चाहती है तो उन्हें बीजेपी का, मोदी का साथ देना चाहिए। विरोधी दलों की राजनीति का एक और पहलू है चुनाव के मौके पर मुफ्त की चीजें बांटना, बिजली, पानी और सर्विस फ्री देने की गारंटी देना। आज ये भी मोदी के एजेंडे पर था। मोदी ने कहा ऐसा करने वाले नेता सिर्फ अपनी पार्टी का भला चाहते हैं वो ये सब इसलिए करते हैं कि उन्हें कमीशन मिले, कट मनी मिले। कुल मिलाकर मोदी ने आज अपने भाषण से दो काम किए – विरोधी दलों के कैंपेन के एक-एक प्वाइंट का जवाब दिया और दो, अपने कार्यकर्ताओं को टॉपिक प्वाइंट दिए, उन्हें समझाया कि जनता के बीच जाकर उन्हें क्या कहना है। (रजत शर्मा)
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