know what Muslim Personal Law Board said on UCC | यूसीसी पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कही ये बातें
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नई दिल्ली: यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लगातार अपनी राय रखता आ रहा है। इसी कड़ी में बोर्ड के 11 सदस्यीय डेलिगेशन ने लॉ कमीशन के अध्यक्ष और सदस्यों से मुलाकात की। इस डेलिगेशन में बोर्ड के अध्यक्ष सैफुल्लाह रहमानी के अलावा मुफ्ती मुकर्रम, नबीला जमील और कासिम रसूल इलियास समेत अन्य लोग मौजूद थे। बोर्ड के सदस्यों ने लॉ कमीशन से साफ-साफ कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ कुरान और सुन्नत का कानून है, और उसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं हो सकता।
लॉ कमीशन ने बोर्ड के सदस्यों से पूछे सवाल
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों ने लॉ कमीशन से यह भी कहा कि मुसलमान शरीयत से समझौता नहीं करेगा। लॉ कमीशन ने बोर्ड से कई सवाल पूछे जैसे कि मुतअ (समझौते के मुताबिक कुछ समय के लिए शादी) हलाला पर बोर्ड क्या सोचता है? जेंडर जस्टिस पर बोर्ड का क्या रुख है? महिलाओं के प्रॉपर्टी में हिस्से को लेकर बोर्ड क्या सोचता है? इस्लाम में शादी की क्या उम्र है? बोर्ड के सदस्यों ने लॉ कमीशन को इन सवालों के जवाब देते हुए कहा कि यूसीसी को लेकर जो चीजें हो रही हैं वे 2024 के लोकसभा चुनावों के चलते हो रही हैं।
‘हलाला को लेकर गलत बात कही जाती है’
बोर्ड ने कहा कि इस्लाम में शादी की उम्र किसी साल के लिहाज से तय नहीं है। उसने कहा कि जब शादी के लिए लड़का, लड़की हर तरह से तैयार हों तो शादी कर सकते हैं। मुतअ को लेकर बोर्ड ने कहा कि ये हमारे देश में नहीं होता, और हलाला को लेकर जो बात कही जाती है, वह गलत है। महिलाओं को प्रॉपर्टी के हिस्से को लेकर भी बोर्ड ने अपनी बातों को रखा। बोर्ड के प्रवक्ता और सीनियर मेंबर कासिम रसूल इलियास ने बताया कि हमने लॉ कमीशन से कहा है कि ये सब बीजेपी और RSS की शह पर 2024 के मद्देनजर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड UCC का विरोध करता रहेगा।
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