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Uttarakhand Silkyara tunnel Mobile phones, board games given to trapped workers to alleviate stress rescue operation will last long

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Uttarakhand, tunnel accident- India TV Hindi

Image Source : PTI
सिल्कयारा टनल में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने की कवायद जारी है

उत्तरकाशी: उत्तराखंड के सिल्कयारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए आ रही बाधाओं के बीच अब उनके तनाव को दूर करने के उपाय किए जा रहे हैं।  अधिकारियों ने सुरंग में फंसे हुए 41 श्रमिकों को तनाव कम करने के लिए मोबाइल फोन और बोर्ड गेम दिए हैं। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। सिलक्यारा में धंसी निर्माणाधीन सुरंग में ‘ड्रिल’ करने में प्रयुक्त ऑगर मशीन के ब्लेड मलबे में फंसने से काम बाधित होने के बाद दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है जिससे मजदूरों को सुरंग से निकालने में कई और हफ्ते लग सकते हैं। 

लूडो और सांप-सीढ़ी जैसे बोर्ड गेम उपलब्ध कराए गए

एक अधिकारी ने बताया, ‘मोबाइल फोन इसलिए दिए गए हैं ताकि श्रमिक वीडियो गेम खेल सकें। उन्हें लूडो और सांप-सीढ़ी जैसे बोर्ड गेम भी उपलब्ध कराए गए हैं।’ उन्होंने बताया कि श्रमिकों को ताश के पत्ते नहीं दिए गए। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘ये खेल उन्हें उनका तनाव दूर करने में मदद करेंगे।’ शुक्रवार को लगभग पूरे दिन ‘ड्रिलिंग’ का काम बाधित रहा, हालांकि समस्या की गंभीरता का पता शनिवार को चला जब सुरंग मामलों के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने संवाददाताओं को बताया कि ऑगर मशीन ‘खराब’ हो गई है। सुरंग के एक हिस्से के ढह जाने की वजह से पिछले 13 दिनों से उसमें 41 श्रमिक फंसे हैं। यह सुरंग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘चार धाम’ परियोजना का हिस्सा है।

13 दिन से फंसे हैं 41 श्रमिक

शनिवार को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ ने उम्मीद जताई कि पिछले 13 दिन से फंसे 41 श्रमिक अगले महीने क्रिसमस तक बाहर आ जाएंगे। शुक्रवार को लगभग पूरे दिन ‘ड्रिलिंग’ का काम बाधित रहा, हालांकि समस्या की गंभीरता का पता शनिवार को चला जब सुरंग मामलों के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने संवाददाताओं को बताया कि ऑगर मशीन ‘‘खराब’’ हो गई है। आस्ट्रेलियाई विशेषज्ञ डिक्स ने पत्रकारों से कहा, ”ऑगर मशीन का ब्लेड टूट गया है, क्षतिग्रस्त हो गया है।” श्रमिकों के सुरक्षित होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘ऑगर मशीन को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए हम अपने काम करने के तरीके पर पुनर्विचार कर रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि सभी 41 लोग लौटेंगे।’

अब मैनुअल ड्रिलिंग होगी

जब डिक्स से इस संबंध में समयसीमा बताने के लिए कहा गया, तो उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा वादा किया है कि वे क्रिसमस तक घर आ जाएंगे।’ दरअसल, कई एजेंसियों के बचाव अभियान के 14वें दिन अधिकारियों ने दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया – मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से ‘ड्रिलिंग’ या ऊपर की ओर से 86 मीटर नीचे ‘ड्रिलिंग’। वहीं, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने नयी दिल्ली में पत्रकारों से कहा, ‘इस अभियान में लंबा समय लग सकता है।’ हाथ से ‘ड्रिलिंग’ (मैनुअल ड्रिलिंग) के तहत श्रमिक बचाव मार्ग के अब तक खोदे गए 47-मीटर हिस्से में प्रवेश कर एक सीमित स्थान पर अल्प अवधि के लिए ‘ड्रिलिंग’ करेगा और उसके बाहर आने पर दूसरा इस काम में जुटेगा। उन्होंने संकेत दिया कि अब जिन दो मुख्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है उनमें से यह सबसे तेज विकल्प है। अब तक मलबे में 46.9 मीटर का क्षैतिज मार्ग बनाया गया है।सुरंग के ढहे हिस्से की लंबाई करीब 60 मीटर है। (इनपुट-भाषा)

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